Thana – O.P. में निजी ड्राइवरों की उपस्थिति पर थाना प्रभारी को दंडित किया जाएगा; डीजीपी के निर्देशानुसार सभी एसपी की समीक्षा की जाएगी।

राज्य के थाना अथवा ओपी में निजी ड्राइवर या निजी मुंशी मिले तो वहां के प्रभारी नपेंगे। डीजीपी के आदेश के बाद सभी जिलों के एसएसपी-एसपी सक्रिय हो गए हैं। वे पुलिस मुख्यालय से जारी इस आदेश से थानों को अवगत करा रहे हैं। जारी पत्र में थानेदारों को बताया जा रहा है कि ऐसी सूचना मिल रही है कि थानों के निजी चालक व मुंशी थाने के दैनिक कार्य निपटा रहे हैं, जो कहीं से उचित नहीं है। ऐसे थाना प्रभारी, ओपी प्रभारी अपने-अपने थाने-ओपी में कार्यरत निजी चालक व मुंशी को अविलंब हटाएं। उनका यह कार्य थाने के सरकारी चालक व मुंशी से कराएं। भविष्य में किसी भी थाना-ओपी में निजी चालक व मुंशी के कार्य करने की सूचना मिली तो संबंधित थानेदार, ओपी प्रभारी इसके जिम्मेदार होंगे। उनके विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी। डीजीपी के आदेश के बाद सभी संबंधित एसपी ने अपने सार्जेंट मेजर को भी भी इससे संबंधित आदेश जारी करते हुए थाना-ओपी में सरकारी चालक उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। डीजीपी ने सभी जिलों के एसपी को यह निर्देश दिया है कि जब तक चालक के पद पर नई बहाली नहीं हो जाती, तब तक उन रिक्तियों को भरने के लिए सिपाहियों को भी वाहन चालन का प्रशिक्षण देकर उनसे थाना-ओपी के चालक का कार्य लिया जाएगा।

निजी चालत से गोपनीयता भंग होने का रहता है खतरा

निजी चालक और मुंशी को हटाने का तर्क यह है कि थाना-ओपी में कई गोपनीय सूचनाएं और दस्तावेज होते हैं, जो क्षेत्र की विधि-व्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं। निजी चालक और मुंशी से थानों की गोपनीयता भंग होने का खतरा रहता है। थानों के निजी चालकों की बार-बार शिकायतें आती हैं कि वे थाना प्रभारी से भी अधिक महत्वपूर्ण समझने लगते हैं, लोगों को धमकाते हैं और रुपयों की वसूली करते हैं। थानेदार निजी चालकों की सहायता से थाने की पेट्रोलिंग करवाते हैं, और कुछ थानेदार अपने अवैध कार्य भी निजी चालकों से करवाते हैं। तर्क यह है कि यदि विवाद उत्पन्न होता है, तो उन्हें कुछ समय के लिए हटा दिया जाएगा, फिर पुनः कार्य पर लगा दिया जाएगा।

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