जो प्रोपेगेंडा बाजी हिंदी पट्टी में भाजपा की चल जाती है, वो मणिपुर में नहीं चली। इवन जो प्रोपेगेंडा बाजी विदेशों में चल जाती है, वो मणिपुर में नहीं चली। नरेंद्र मोदी मणिपुर जाते हैं, लेकिन मणिपुर में मोदी का स्वागत करने की जगह विरोध हुआ। हालत यहां तक हो गई कि मोदी के मणिपुर पहुंचने से पहले विरोध में 43 भाजपा के नेताओं ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया। पार्टी ही छोड़ दी। भगदड़ मच गई भाजपा में। तमाम अखबारों में यह खबर सुर्खियां बनी, लेकिन गोदी मीडिया देखने वालों तक यह खबर नहीं पहुंची।
हालात यहां तक हो गए कि नरेंद्र मोदी के पहुंचने से पहले मोदी के स्वागत में लगाए गए पोस्टर्स, बैनर और बोर्ड तक लोगों ने उखाड़ कर फेंक दिए और आग लगा दी। लोगों ने अपने ही देश में अपने प्रधानमंत्री के विरोध की ऐसी तस्वीरें पिछले 11 सालों में नहीं देखीं। सिर्फ इतना ही नहीं, कल्चरल डांस करके मोदी का स्वागत करने से मणिपुर के कलाकारों तक ने मना कर दिया। यह खबर भी अखबारों तक में छप गई। मोदी ने मणिपुर पहुंचकर के एक कहानी सुनाई। बोले कि मैं आ रहा था तो मेरा हेलीकॉप्टर उड़ नहीं पाया, इसीलिए मैं सड़क के रास्ते से चुरचंद्रपुर पहुंचा हूं। रास्ते का स्वागत देख कर के मैं बड़ा हैरान रह गया।
मणिपुर में मोदी ने कहा कि भारी बारिश के कारण मेरा हेलीकॉप्टर नहीं आ पाया। तो मैंने सड़क मार्ग से आना तय किया और आज मैं सड़क पर जो दृश्य देखे तो मेरा मन कहता है कि परमात्मा ने अच्छा किया कि मेरा हेलीकॉप्टर आज नहीं चला। और मैं रोड से आया और जो रास्ते भर तिरंगा हाथ में लेकर के अबाल वृद्ध सबने जो प्यार दिया, जो अपनापन दिया, मेरे जीवन में, मैं इस पल को कभी नहीं भूल सकता। मैं मणिपुर वासियों का सर झुका करके नमन करता हूं।
नरेंद्र मोदी कहते हैं कि उनके स्वागत में लोग झंडा लेकर के खड़े थे. मोदी का स्वागत करवाने के लिए बच्चों को लाइन में खड़ा किया गया है. ये सब स्कूल के बच्चे हैं. स्कूल की ड्रेस में हैं और सबको झंडा लेकर के खड़ा करवाया गया है।. मोदी जी के पॉलिटिकल दौरे के लिए स्कूल के बच्चों को स्वागत करवाने के लिए खड़ा किया गया. सिर्फ यह दिखाने के लिए कि मणिपुर के लोग प्रधानमंत्री के आने पर उतने ही खुश हैं जितनी खुशी अयोध्या में भगवान राम की वापसी पर हुई थी. बच्चों को मोदी के दौरे से क्या लेना देना? इसी को बुजुर्गों ने नौटंकीबाजी और अंग्रेजों ने प्रोपगेंडाबाजी कहा है. जब मणिपुर संकट में था, तकलीफ में था, जल रहा था, तब नरेंद्र मोदी मणिपुर के नाम से ऐसे भागते थे जैसे गाय गहरे पानी को देखकर के भाग जाती है.
सुप्रिया श्रीने ने मोदी के बारे में कहा कि हिंसा भड़कने के ढाई साल बाद आखिरकार नरेंद्र मोदी जी आज मणिपुर जा रहे हैं। लेकिन सनद रहे वह वहां पर विस्थापित लोगों से मिलने या लोगों के आंसू पोछने या उन महिलाओं जिनके साथ बर्बरता हुई उनको ढंडस बंधाने या शांति की अपील करने नहीं जा रहे हैं। वो आज भी वहां पर रेलवे प्रोजेक्ट के उद्घाटन के लिए जा रहे हैं और शायद इसीलिए मणिपुर में उनके आगमन का विरोध हो रहा है। भला कौन भूल सकता है कि ढाई साल से जलते हुए मणिपुर को अपने हाल पर छोड़कर मोदी जी तो दुनिया नाप रहे थे। कौन भूल सकता है कि जब तक मणिपुर में अपनी सरकार पर नहीं बनाई तब तक राष्ट्रपति शासन नहीं लागू हुआ। कौन भूल सकता है कि इन ढाई सालों में नरेंद्र मोदी जी ने शांति की एक अपील नहीं की और मणिपुर के एक जनप्रतिनिधि से नहीं मिले। कौन भूल सकता है कि जब आदमखोरों की भीड़ ने महिलाओं को नोचा तो 78 दिन तक मोदी जी चुप रहे और जब बोले भी तो 36 सेकंड के लिए। कौन भूल सकता है कि समूचे विपक्ष को एक अविश्वास प्रस्ताव लाना पड़ा जिससे कि मोदी जी सदन में मणिपुर पर वक्तव्य दे सके और मणिपुर पर उन्होंने दो मिनट बात की। कौन भूल सकता है कि बीरेंद्र सिंह को मुख्यमंत्री बनाए रखा जिनकी पुलिस आर्मी पर हमला कर रही थी। कौन भूल सकता है कि हथियारों की अनवरत सप्लाई चलती रही और लोगों के हाथ में बंदूके थी और वह सड़कों पर थे। पूरी तरह से अराजकता फैली रही। मैं आशा करती हूं कि आज उद्घाटन करने के बाद मोदी जी हाथ जोड़कर मणिपुर से माफी मांगेंगे। माफी मांगेंगे उन महिलाओं से जिनके साथ वो बर्बरता हुई कि सोच कर रूप कांप जाए। माफी मांगेंगे उन बच्चों से जिनकी हत्याएं हो गई। माफी मांगेंगे उन विस्थापित लोगों से जिनका सब कुछ उजड़ गया। माफी मांगेंगे एक ऐसे व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाए रखने के लिए जिसके ऊपर आरोप है कि उसने हिंसा भड़काई थी। मुझे एक बात का हमेशा फक्र रहेगा कि जब मोदी जी ने मणिपुर से मुंह मोड़ लिया था और उसके हाल पर उसको छोड़ दिया था। राहुल गांधी जी लगातार मणिपुर जाते थे। लोगों का हाल पूछते थे। उनको ढंडस बंधाते थे। उनके आंसू पूछते थे और यह विश्वास दिलाते थे कि यह देश उनके साथ खड़ा है। काश ये काम मोदी जी ने भी समय रहते किया होता।
राहुल गांधी पिछले 3 सालों में तीन बार मणिपुर जा चुके हैं। जबकि वो प्रधानमंत्री नहीं हैं। नरेंद्र मोदी पिछले 3 सालों में दर्जनों बार विदेश जा चुके हैं। लेकिन अपने ही देश के मणिपुर वो नहीं जा पाए। अब उन्हें फुर्सत मिली है तो मणिपुर पहुंचे हैं। राजा ने संकट के समय मणिपुर को छोड़ दिया। अब मणिपुर पहुंच पाए हैं। आजकल मोदी जी का फेवरेट टूरिस्ट प्लेस बिहार है। अब वह बिहार ही जाएंगे। नरेंद्र मोदी भारत के ऐसे प्रधानमंत्रींत्रियों में से हैं जो प्रचार मंत्री ज्यादा हैं। प्रधानमंत्री वो कभी-कभी दिखाई दे जाते हैं। उनका एक ही काम है विपक्ष से भिड़े रहना और विदेश के दौरे करना।
एक बड़ा फैक्ट है कि मोदी ने प्रधानमंत्री रहते हुए जितने विदेश के दौरे किएलेकिन किसी और प्रधानमंत्री ने नहीं किए। मोदी ने रिकॉर्ड बना दिया है। लेकिन एक सच यह भी है कि मोदी सरकार ने सबसे ज्यादा विदेशों के दौरे करके सबसे ज्यादा विदेश नीति का भट्टा बिठाया है। यह भी फैक्ट है।
जो प्रधानमंत्री 2023 से मणिपुर को लावारिस छोड़े हुए थे। जब वो मणिपुर पहुंचे तो लंबी-लंबी छोड़ने लगे। तो कोई तर्कशील व्यक्ति ये भाषण सुनकर या तो पेट पकड़ कर भैया हंस सकता है या भाषण को इग्नोर कर सकता है। पूरे भाषण में कुछ भी ऐसा कुछ भी नहीं सुनाने लायक।






