कुर्मी समाज के लोग सभी धर्मों का मैं आदर करती हूं, सम्मान करती हूं। लेकिन कोई भी समुदाय चाहे कुर्मी हो, चाहे वो हिंदू हो, मुस्लिम हो, सिख हो, ईसाई हो, कोई भी आकर के चाहे रेल के सामने कूद जाए, चाहे वो बस को ठप कर दे, सड़क जाम कर दे, चाहे वो दिल्ली के जंतर-मंतर से काहे ना कूद जाए, वो कभी आदिवासी नहीं हो सकता है।
आदिवासी बनने के लिए आदिवासी पैदा होना पड़ता है, और यदि आप आदिवासी पैदा नहीं हुए हैं, तो आपको आदिवासी का अधिकार और हक कभी नहीं होगा। जो भी इस पर हाथ उठा के देख रहा है या फिर आदिवासी समुदाय में शामिल होना चाहता है, तो खबरदार! आदिवासी बना नहीं जाता है, आदिवासी पैदा हुआ जाता है, और आज जो माजरा चल रहा है राजनीति का, ये धर्म की राजनीति करना बंद कीजिए। ये जो समुदाय-समुदाय खेलना बंद कीजिए, नहीं तो एक दिन आदिवासी समुदाय जो है, पूरे भारत से आह्वान करेगा, और आज तक हमारे राज्य का और हमारे देश में अपना गौरव स्थापित हम लोग नहीं कर पाए हैं।जबकि संविधान में पूर्ण रूप से सबसे प्रथम नागरिक और विद्यमान विधि सर्वोपरि है, उससे खिलवाड़ करने वाले लोगों को मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। आपके ही पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष जय राम महतो मांग कर रहे हैं कि आदिवासियों को एसटी सूची में शामिल किया जाए। मैं अपनी प्रकृति पूजक रूढ़िवादी परंपरा को मानने वालों के साथ रहूंगी। निशा भगत ने आगे कहा कि जब तक मैं जिंदा हूं, तब तक आदिवासियों का हक और अधिकार किसी और को छीनने नहीं दूंगी। यह चीज़ बोलनी चाहिए थी इस झारखंड राज्य के मुख्यमंत्री को, जो कि आदिवासियों के हितैषी और आदिवासियों का ठेकेदार कहलाते हैं, लेकिन आज सिर्फ और सिर्फ सत्ता की लालच में मौन धारण किए हुए हैं।

आदिवासी आदिकाल से रूढ़िवादी परंपरा को मानने वालों के लिए विशेष संविधान में भी एक विद्यमान विधि व्यवस्थित है। उसमें ना हिंदू है ना उसमें मुसलमान है ना सिख है ना ईसाई है। उसमें किसी भी धर्म के प्रवृत्ति के जो मानने वाले लोग हैं वह वहां विद्यमान नहीं है। इसीलिए हमारा जो हक और अधिकार है उसको लगातार हनन करने के लिए आप देखिएगा चाहे मुस्लिम कम्युनिटी हो चाहे ईसाई हो चाहे अन्य लोग इस पे प्रहार करते रहते हैं और हम आदिवासी जो है सरल स्वभाव के लोग आप इतिहास उठा के देखिए आप जब अंग्रेजों के समय जब उनको भगाने की बात हुई थी जब अंग्रेजों को खदेड़ने की बात हुई थी तो प्रखरता से आदिवासी समुदाय में भगवान बिरसा मुंडा जी का नाम रहा है और भगवान बिरसा मुंडा जी के ऊपर अभी हम लोग को कोई दिक्कत नहीं है। भगवान भी है वो हमारे और आदिवासी समाज के ऐसे पूर्वज हैं जो हमारा अस्तित्व को उन्होंने पहचान दिलाया। तो ऐसे पहचान उन लोगों ने दिलाया हो तो यह बात कीजिए और सबसे बड़ी बात है ये इस लोकतंत्र में खूबसूरती ये है कि अपने समुदाय अपने धर्म की बात को सबको रखने की आजादी है और इस झारखंड राज्य में माननीय मुख्यमंत्री मंत्री विधायक आप देख लीजिए कुड़मे समाज के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुदेश महतो जी को देख लीजिए या तो फिर आप सिल्ली के विधायक अमित महतो जी को देख लीजिए और अन्य कई ऐसे दिग्गज नेता हैं जो महतो कम्युनिटी में बिलोंग करते हैं और सरकार में भी है और सरकार से परे भी है,तो ये लोग सिर्फ और सिर्फ ना एक दूसरे को लड़ाने की राजनीति कर रहे हैं। और यह जो आदिवासी कम्युनिटी का जो हक और अधिकार की बात कर रहे हैं तो हमेशा से आदिवासियों को भारत की आजादी से आप देखिएगा कांग्रेस का सत्ता रहा है।

इस लोकतंत्र में सबको अधिकार है अपनी आवाज उठाने का। आप भी आवाज उठाइए। लेकिन हमारे अस्तित्व की बात जहां पर आएगी, हमारे धर्म की बात आएगी, जब हमारे कॉलम की बात आएगी तो हम तो प्रखरता से बात करेंगे। इसका जवाब देना माननीय हेमंत सोरेन जी क्यों जवाब नहीं दे रहे हैं? क्यों धर्म की राजनीति में सबसे पहले अवल नंबर पे है? धर्म की राजनीति तो सबसे ज्यादा यहां झारखंड में हो रही है। ये जो वर्तमान की सरकार है कांग्रेस और जेएमएम की जो महागठबंधन की सरकार है सबसे ज्यादा प्रायोरिटी देती है धर्मांतरित ईसाइयों को और मुसलमानों को प्रायोरिटी देती है। यहां की जबकि फिफ्थ शेड्यूल क्षेत्र है। ये विशेषकर ये आदिवासियों के का ये राज्य है और मूलवासियों का राज्य है। अगर मूलवासी भी कहेंगे कि अगर हम आदिवासी बन जाए तो ये संभव तो नहीं है।
हम आदिवासी काफी स्वाभिमानी होते हैं और अपने रूढ़िवादी परंपरा को प्रखरता से हम लोग पीढ़ी दर पीढ़ी मानते आ रहे हैं और यदि हमारे आदिवासी समुदाय में अगर किसी भी तरह का चाहे पार्टी पॉलिटिक्स हो चाहे किसी भी अन्य समुदाय की बात की जाए तो उसमें प्रखरता से मैं विरोध करूंगी और और लगातार अगर इस बात को लेकर के कि हम बन ही जाएंगे तो ऐसा लोकतंत्र में सबको अपना मांगने का अधिकार है।






