सूर्या हांसदा की एनकाउंटर में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग( NCST)की ओर से जो जांच रिपोर्ट में क्या कहा है?

सूर्या हांसदा का जिस जगह पर एनकाउंटर हुआ वहां कोई घना जंगल नहीं था। वह इलाका खुला है। घटना स्थल की उचित रूप से घेराबंदी नहीं की गई थी। घटना स्थल पर आसपास के गांव के चरवाहे और पशुओं का आवागमन हो रहा था। क्राइम सीन को संरक्षित नहीं किया गया। घटना स्थल के आसपास एक भी गोली के निशान नहीं पाए गए। एनकाउंटर की घटना के बाद जिले के डीसी और एसपी ने मौकाए वारदात का मुआयना तक नहीं किया।

जब सूर्या हांसदा ने पहले ही पुलिस को बताया था कि उसने उस जगह पर खतरनाक हथियार छिपा रखे हैं और उसके 10-15 साथी भी वहां मौजूद हैं। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने अपनी रिपोर्ट में उठाई है। जिसके बाद सूर्या हांसदा एनकाउंटर केस अब एक नई करवट लेता दिखाई दे रहा है। दरअसल राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश के शिकायत के बाद आशा लकड़ा के नेतृत्व में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने सूर्या हांसदा मामले को संज्ञान में लेकर अपनी तहकीकात शुरू की।

टीम के सदस्यों ने गोड्डा जाकर घटना स्थल का निरीक्षण किया। सूर्या के परिजनों से मिले। उनके द्वारा संचालित चांद भैरव राजा राज स्कूल गए। वहां के बच्चों और उनके मां-बाप से मिले। इसके साथ ही डीसी, एसपी और तमाम पदाधिकारियों के साथ बैठकें की। एनकाउंटर के बाद सामने आए रिपोर्ट्स को अच्छी तरह से खंगाला और मामले के हर अनछुए पहलुओं की एसटी आयोग की टीम ने गहनता से जांच पड़ताल की। इन तमाम तथ्यों के आधार पर अब जो रिपोर्ट सामने आई है वो बेहद चौंकाने और हैरान कर देने वाली है। साथ ही गोडा पुलिस के लिए परेशानी का सबब भी बन सकती है।

सूर्या हांसदा के एनकाउंटर के लगभग 13 दिनों के बाद राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की टीम ने 24 अगस्त को गोडा जिले का दौरा किया था। घटना स्थल का निरीक्षण करने के दौरान आयोग की टीम ने पाया था कि जिस स्थान पर मुठभेड़ की बात बताई जा रही है, वहां कोई घना जंगल है ही नहीं। बल्कि वह इलाका तो पूरी तरह से खुला है। निरीक्षण के दौरान गोड्डा जिला मुख्यालय के डीएसपी जेपीए चौधरी समेत अन्य पुलिस पदाधिकारी उपस्थित थे। इसके बावजूद एसआईटी प्रमुख डीएसपी और ललमटिया बुआरीजोर तथा महागामा के थाना प्रभारी अनुपस्थित रहे। निरीक्षण के दौरान आयोग ने यह भी पाया कि घटना स्थल की उचित रूप से घेराबंदी नहीं की गई थी। घटना स्थल पर आसपास के गांव के चरवाहे और पशुओं का आवागमन हो रहा था। इसके अलावा घटना स्थल के आसपास एक भी गोली के निशान नहीं पाए गए। स्वतंत्र गवाहों की उपस्थिति का कोई प्रमाण भी नहीं मिला।

आयोग ने कहा कि यह बात पूरे घटनाक्रम पर संदेह पैदा करती है। इस पर गोडा एसपी ने जवाब दिया कि कितने पुलिसकर्मियों को भेजना है यह पूरी तरह एसपी के विवेक पर निर्भर करता है। और तो और इस मामले में एक बड़ी ही इंटरेस्टिंग बात सामने आई है। जिससे गोड्डा पुलिस बुरी तरह फंस सकती है। एसपी ने 19 अगस्त को इंस्पेक्टर जनरल मानवाधिकार झारखंड को जो रिपोर्ट भेजी उसमें मुठभेड़ की अवधि सिर्फ आधे घंटे बताई गई है। 11 अगस्त को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सहायक निबंधक को भेजी गई रिपोर्ट में एसपी ने मुठभेड़ की अवधि को एक घंटा बताया था जो कि कानून के मायने में बहुत बड़ा अंतर है और यह किसी बड़ी साजिश या गड़बड़ी की तरफ इशारा हो सकता है। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने अब निष्पक्ष जांच के लिए सीबीआई जांच की अनुशंसा की है। आयोग की ओर से कहा गया है कि गोड्डा जिले के डीसी, एसपी और डीजीपी की रिपोर्ट और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की ओर से की गई जांच के आधार पर कई बिंदुओं पर तथ्यात्मक दृष्टिकोण से भिन्नता पाई गई है। इसलिए सीबीआई से इस मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए। गोड्डा डीसी, एसपी और मुठभेड़ में शामिल पुलिस पदाधिकारी जांच प्रक्रिया में सहयोग करें ताकि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो सके और दोषियों पर कानून सम्मत कारवाई हो सके। आयोग की ओर से यह भी कहा गया है कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करें कि प्रकरण से संबंधित सभी साक्ष्य सुरक्षित और संरक्षित रहे। उनके साथ किसी प्रकार का कोई छेड़छाड़ ना हो।

अब देखना होगा कि सूर्या हांसदा मामले में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के इस रिपोर्ट के बाद केस में क्या नए मोड़ सामने आते हैं।

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