सीएसआर (CSR) क्या है? कम्पनी को सूर्या हांसदा क्यों बोलते थे?

आज के युग में कम्पनियाँ सिर्फ फायदे से नहीं बल्कि समाज के प्रति अपने कर्तव्यों को भी समझने लगी हैं।तब सी इस आर बना है। जिसका अर्थ CSR (Corporate Social Responsibility) एक शब्द है जो आज बहुत चर्चा में रहता है क्योंकि कंपनियाँ अब सिर्फ मुनाफा कमाने के लिए नहीं बल्कि समाज, पर्यावरण और समुदायों के प्रति भी जिम्मेदार हैं।

CSR को हिंदी में ‘कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व’ कहते हैं।यह एक सिद्धांत है जिसके तहत एक कंपनी अपने लाभ का कुछ प्रतिशत पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक विकास और समाज की भलाई में लगाती है।सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) का कार्य है कि कंपनियाँ अपने व्यावसायिक उद्देश्यों को सामाजिक उद्देश्यों के साथ संतुलित करें।

भारत एक ऐसा देश है जो विश्व में एकमात्र देश बना है जहाँ CSR को कानूनी रूप से अनिवार्य बनाया गया है। यह कानून 2013 में भारत सरकार ने “कंपनी अधिनियम (Companies Act, 2013)” में संशोधन करके CSR को कानून में शामिल कर दिया।

CSR भी भारत में कानूनी है। जब यह कंपनी अधिनियम (Company Act, 2013) के अनुसार, जिस कंपनियाँ के पास वार्षिक लाभ ₹5 करोड़ से ज्यादा हो और उन्हें कम से कम 2% अपने लाभ का CSR गतिविधियों में खर्च करना होगा। जैसे -: शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण, महिला सशक्तिकरण, जनजातीय विकास और अन्य सामाजिक कल्याण क्षेत्रों आदि में ये क्रियाएं हो सकती हैं।

सूर्या हांसदा झारखंड के प्रसिद्ध आदिवासी नेता और सामाजिक कार्यकर्ता थे। वे विशेष रूप से संथाल जनजाति और आदिवासी अधिकारों, शिक्षा, भाषा संरक्षण और पर्यावरण जैसे मुद्दों पर बातें करते थे। वे सी एस आर के कॉरपोरेट हस्तक्षेप और आदिवासी क्षेत्रों में विकास के नाम पर हो रहे शोषण पर वे अक्सर स्पष्ट रूप से बोलते थे।

CSR के नाम पर कंपनियाँ असली बदलाव की बजाय कंपनी अपने फायदा के बारे में सोचते हैं।CSR के नाम पर आदिवासी क्षेत्रों में कंपनियाँ प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करती हैं, जबकि वास्तविक रूप से कोई लाभ आदिवासी समुदाय को नहीं मिलता।CSR का निर्णय आदिवासी समुदायों की भागीदारी के बिना किए जाते हैं, इससे उनकी आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं को अनदेखा किया जाता है।

उन्हें यह भी कहा कि कंपनियाँ CSR का उपयोग करती हैं ताकि वे सरकारी नीतियों से बच सकें, यानी विकास का “असली” खर्च नहीं करना पड़े।सूर्या हांसदा ने कहा कि CSR केवल स्थानीय नेतृत्व, सांस्कृतिक संरक्षण और जनजातीय ज्ञान के साथ काम कर सकता है। जिससे समाज को शिक्षा, स्वास्थ्य का लाभ मिल सके।

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