सीएनटी एक्ट उल्लंघन में सीबीआई के विशेष ने सुनाभया फै सुनायया फैसला। फर्जी पते का इस्तेमाल कर आदिवासी जमीन खरीद।

सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एसएन तिवारी की अदालत ने शनिवार को 15 वर्ष पुराने सीएनटी एक्ट उल्लंघन मामले में सजा सुनाई। दोषी ठहराए गए पूर्व मंत्री एनोस एक्का और उनकी पत्नी मेनन एक्का सहित नौ अभियुक्तों को चार से सात वर्ष की कारावास की सजा दी गई है। इसके अतिरिक्त, अभियुक्तों पर दो लाख रुपये से अधिक का जुर्माना भी लगाया गया है। अदालत ने नौ अभियुक्तों को भादवि की धारा 120बी सह पठित 193 एवं पीसी एक्ट की धारा के तहत दोषी ठहराया।

अदालत ने एनोस एक्का को सात वर्षों की कारावास की सजा सुनाई है, साथ ही उन पर 2.10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। यदि जुर्माना नहीं भरा गया, तो उन्हें एक वर्ष और दो महीने की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। एनोस की पत्नी, मेनन एक्का, को भी सात वर्षों की सजा और 2.60 लाख रुपये का जुर्माना दिया गया है। राशि जमा न करने पर उन्हें एक वर्ष और पांच महीने की अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी पड़ेगी।

दोषी तत्कालीन एलआरडीसी कार्तिक कुमार प्रभात, राजस्व कर्मचारी मणिलाल महतो और ब्रजेश्वर महतो को पांच-पांच वर्ष की कैद और 2.10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। जुर्माना न चुकाने पर एक वर्ष दो माह की अतिरिक्त जेल की सजा होगी। सीआई अनिल कुमार, राज किशोर सिंह, फिरोज अख्तर और राजस्व कर्मचारी ब्रजेश मिश्रा को चार-चार वर्ष की कैद के साथ 2.10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। इन चारों को भी जुर्माना न चुकाने पर एक वर्ष दो माह की अतिरिक्त जेल की सजा भुगतनी होगी। सजा के निर्धारण के दौरान जेल में बंद नौ अभियुक्तों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत किया गया। इसके पश्चात, प्रत्येक को क्रमशः सजा सुनाई गई। पूर्व मामले में सीबीआई के लोक अभियोजक दविंद्र पाल सूद ने कोर्ट से दोषियों को अधिकतम सजा की मांग की। मामले में एनोस एक्का सहित अन्य पर 5 नवंबर 2019 को आरोप तय किए गए थे।

फर्जी पते का इस्तेमाल कर आदिवासी जमीन खरीद

एनोस एक्का ने 15 साल पहले मंत्री रहते पद का दुरुपयोग कर 1.18 करोड़ रुपए से अधिक की आदिवासी जमीन की खरीद-बिक्री फर्जी पते का इस्तेमाल कर की। इसमें तत्कालीन एलआरडीसी कार्तिक प्रभात समेत तत्कालीन तीन सीआई राज किशोर सिंह, फिरोज अख्तर, अनिल कुमार, राजस्व कर्मचारी ब्रजेश मिश्रा, मनीलाल महतो और ब्रजेश्वर महतो की भी मिलीभगत थी। झारखंड हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने 4 अगस्त 2010 को इस मामले में एनोस एक्का समेत उक्त लोगों पर प्राथमिकी दर्ज की। सीबीआई ने जांच पूरी करते हुए दिसंबर 2012 में चार्जशीट दाखिल की थी। फर्जी पते का इस्तेमाल कर आदिवासी जमीन खरीदी।

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