भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने एक महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए कहा कि अब 22 भारतीय भाषाओं में यूजी (स्नातक) और पीजी (परास्नातक) पाठ्यक्रमों की पुस्तकें उपलब्ध कराई जाएंगी। भारतीय भाषा पुस्तक परियोजना (Indian Language Book Project) का उद्देश्य मातृभाषा में उच्च शिक्षा को सुलभ और समावेशी बनाना है, इसलिए यह पहल की जा रही है।

हिंदी, तमिल, कन्नड़, असमिया, बंगाली, बोडो, डोगरी, गुजराती, कश्मीरी, कोंकणी, मैथिली, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उडि़या, पंजाबी, संस्कृत, संथाली, सिंधी, तेलुगु और उर्दू 22 भारतीय भाषाओं में पाठ्यपुस्तकों का अनुवाद शिक्षा मंत्रालय ने किया है।
इन पुस्तकों को डिजिटल रूप में बनाया जाएगा, ताकि विद्यार्थी आसानी से इन्हें ऑनलाइन उपयोग कर सकें। पहले चरण में, इस परियोजना के तहत मेडिकल, इंजीनियरिंग, विज्ञान, कानून और वाणिज्य जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों की पुस्तकों का अनुवाद किया जा रहा है।
शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि 2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत मातृभाषा में शिक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में यह पहल एक महत्वपूर्ण कदम है। न केवल छात्रों को अपनी भाषा में बेहतर समझ मिलेगी, बल्कि इससे ज्ञान का लोकतंत्रीकरण होगा।
सरकार चाहती है कि विद्यार्थी अपनी मातृभाषा में पढ़ाई करें और प्रतियोगी परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन करें। विशेष पोर्टल और मोबाइल ऐप डिजिटल पुस्तकों को मुफ्त में उपलब्ध कराएंगे।






