सूर्या हांसदा के साथ घटना हुई, और उसमें बीजेपी का भी आयोग गठित होकर आया था। लिट्टीपारा विधानसभा के विधायक दिनेश विलियम मरांडी कहते हैं कि जैसे लोग बोलते हैं, जैसे सूर्या हांसदा के परिवार सीबीआई जांच की मांग करना चाहते हैं, तो इसमें राज्य सरकार को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए. उनको सिर्फ रिकमेंड करना है कि सीबीआई जांच होनी चाहिए। और लोगों को जो लग रहा है कि सूर्या हांसदा का एनकाउंटर नहीं, मर्डर हुआ है, यह उनका परिवार भी बोल रहा है। उनकी पत्नी और उनकी मां बोल रही हैं। इसमें पूरा गांव बोल रहा है। तो रिकमेंड करने में लगा क्या है राज्य सरकार को? इसमें घबरा क्यों रहे हैं? सब राज्य सरकार के ही जो कुछ विधायक हैं, वह कह रहे हैं कि वह अपराधी है। उन पर कई तरह के अपराध के आरोप हैं।

आगे दिनेश विलियम मरांडी कहते हैं, ‘राज्य सरकार के कुछ विधायक हैं, कुछ सांसद हैं.’ इस बात को बोल रहे हैं. ‘हर विधायक सांसद के ऊपर कोई ना कोई आरोप है, तो क्या उसका एनकाउंटर कर देना चाहिए? बहुत सारे आपराधिक मामले हैं विधायक सांसद के ऊपर, तो क्या उनका उनका एनकाउंटर कर देना चाहिए?’ वही विधायक सांसद के ऊपर जब वह स्वास्थ्य मंत्री थे तो सीबीआई जांच हुई थी। उसके ऊपर मेडिकल घोटाले का मामला लटका हुआ है, उस विधायक के ऊपर। बहुतों के ऊपर जांच चल रही है ईडी की। तो क्या उसको एनकाउंटर कर देना चाहिए? यह तो कोई नैतिक वाली बात नहीं है।
लोकल पुलिस जो वर्तमान झारखंड राज्य के मुख्यमंत्री है यह आरोप उनका विधायक प्रतिनिधि( पंकज मिश्रा) पर लगा है क्योंकि पहले उसका स्टेटमेंट आया था कि गोली मरवा देंगे तो क्या झारखंड पुलिस झारखंड राज्य के मुख्यमंत्री के विधायक प्रतिनिधि के पास इतने पावर है। जब रूपा तिरकी के मामले में वही विधायक प्रतिनिधि के ऊपर जांच बैठा आरोप लगा कि भाई इनका संलिता है फिर जहां कोयला बालू गिट्टी का चोरी होता है अभी अजीटी खत्म होगा तो बोलेगा कि भाई विधायक प्रतिनिधि ही बोलेगा तभी ये कोयला बालू गिट्टी सब चोरी होगा यहां तो थाना बिक रहा है उनके नाम से और जो भागलपुर का रहने वाला है बिहार का रहने वाला है वैसे आदमी को विधायक प्रतिनिधि माननीय को नहीं रखना चाहिए। यही तो इनको ले डूबेगा और वो आदमी आकर बोलता है कि गोली मार देंगे। तो क्या झारखंड के पुलिस पावर ऑफ अटर्नी झारखंड राज्य के मुख्यमंत्री के विधायक प्रतिनिधि को दे दिए हैं कि जब आप बोलिएगा तो गोली मार देंगे। इसी आरोप में सूर हासदा का परिवार, उनकी पत्नी, उनकी मां यह आरोप लगा रही है उस वीडियो को देख के कि उनको शक है कि यही लोग एनकाउंटर नहीं उनका मर्डर किया गया है। तो इसकी सीबीआई जांच करने में क्या दिक्कत है? सीआईडी तो फिर वही लोकल पुलिस करेगा जो एनकाउंटर किया है। क्या फायदा होगा? सीआईडी कौन होता है? सीआईडी वही लोकल पुलिस होता है जो एनकाउंटर किया। और सीबीआई सेंट्रल से आएगा तो डर क्या है? सेंट्रल का अगर संस्था आकर के जांच करेगा तो डर क्या है? आप रिकमेंड कर दीजिए। उसका और भी ऑप्शन है कि अगर सूर हालदा की पत्नी या उनकी मां हाई कोर्ट में केस करती है और केस में यह अपना बात को रखती है कि सीबीआई जांच होना चाहिए। उनको संदिग्ध लगता है तो भी सीबीआई जांच हो सकती है। तब भी रिकमेंडेशन हो सकता है। लेकिन नैतिकता के नाते और इंसानियत के नाते माननीय मुख्यमंत्री जी को सीबीआई जांच का आदेश दे देना चाहिए। वक्त का तकाजा है मान लीजिए नहीं तो झारखंड मुक्ति मोर्चा को डूबने से कोई नहीं रोक सकता है। आदिवासी नाराज है और यह वक्त पर पता चलेगा।






