झारखण्ड राज्य के खूंटी जिला के छोटे गांव के आदिवासी बेटे, जिसके पिता नक्सल अटैक में मारे गए थे, उसने में टॉप हासिल की।

झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) की 2023 की परीक्षा में खूंटी जिले के एक छोटे से गाँव का आदिवासी बेटा अभय कुजूर ने राज्य स्तर पर दूसरा स्थान (Rank-2) हासिल कर अपनी सफलता की कहानी रचा।

अभय कुजूर की सफलता के कहानी

पिता की शहादत और माँ की लड़ाई ने उनकी प्रेरणा दी।पिता की हत्या: उनके पिता अश्विनाश कुमार कुजूर, जो भारतीय सेना से सेवानिवृत्त होकर ओडिशा पुलिस में कार्यरत थे, 2009 में एक नक्सल हमले में मारे गए। अभय का जीवन इस घटना से  गहरी प्रेरणा की नींव रखी। माँ की शक्ति: अभय बताते है कि की माँ सुशीला देवी ने परिवार का नेतृत्व किया और उसे हर कदम पर सहायता दी।

अभय की मां ने उसे सर्वोच्च प्रेरणा दी…। “मैंने निर्णय लिया था कि मैं हार नहीं मानूंगा, बस हर दिन अपने आप को बेहतर बनाना चाहूँगा।”

शिक्षा और मेहनत

अभय ने स्कूली शिक्षा रांची के सेंट क्रॉस दे स्कूल से शुरू की, फिर रांची विश्वविद्यालय के सेंट जेवियर्स कॉलेज से पीजी किया। 2019 से झारखंड लोक सेवा आयोग की तैयारी शुरू की, और 2023 की JPSC परीक्षा में अपनी दूसरी कोशिश में द्वितीय स्थान प्राप्त किया। वे “खोरठा” वैकल्पिक विषय पढ़ते थे और हर दिन 6 से 8 घंटे अकेले पढ़ते थे।

छोटे गांव, आरक्षण वर्ग से आने के बावजूद मेहनत, अनुशासन और आत्मविश्वास से बड़े लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं।

26 जुलाई 2025 को झारखंड लोक सेवा आयोग ने JPSC का 2023 का रिजल्ट जारी किया। अभय कुजूर 342 लोगों में दूसरे स्थान पर रहे। इस सूची में सबसे पहले आशीष अक्षत ने पुलिस सेवा को चुना, जबकि अभय सहित अधिकांश प्रमुख उम्मीदवारों ने प्रशासकीय सेवा (JAS) को चुना।

उनकी यात्रा बहुत प्रेरक है— उन परिवारों और विद्यार्थियों के लिए जो कम संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखते हैं।

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